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10 Jan 2021 · 1 min read

मचा है हाहाकार

कोरोना के कहर से,
मचा है हाहाकार।
देखो पैदल चल पड़े,
छोड़ सभी घरबार।

सिर पे गठरी गोद में बच्चा,
लिए हुए मजदूर।
जाने कैसी विपदा आई,
हुए बहुत मजबूर।

बेटी के पांवों के छाले,
एक टक देखे माता।
रो कर बोले छोटा मुन्ना,
चला नही अब जाता।

बस थोड़ी ही दूर चलो ना,
लो कहना अब मान।
हम बेबस बेघर हैं बच्चों,
बनों ना तुम अनजान।

देखो अँखियों के आँसू भी,
गए हुए हैं सूख।
अभी न कहना पापा से तुम,
लगी हुई है भूख।

कुछ दिन और चलोगे जो तुम,
मिल जाएगा ठांव।
निष्ठुर इन शहरों से अच्छा,
है अपना ही गांव।

सुनकर इनकी करुण वेदना,
क्या कर सकता बाप।
कलम “जटा” की लिख न पाए,
क्यों करते तुम जाप।

जटाशंकर “जटा”
१४-०५-२०२०
ग्राम-सोन्दिया बुजुर्ग
पोस्ट-किशुनदेवपुर
जनपद-कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नं०-९७९२४६६२२३

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