*मगर चलने में अपने पैर से ही चाल आती है (मुक्तक)*
मगर चलने में अपने पैर से ही चाल आती है (मुक्तक)
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सतत अभ्यास से संगीत में लय-ताल आती है
सदा तलवार के सँग में, सुरक्षा ढाल आती है
सफर तय कर तो लेता है, मनुज बैसाखियों से भी
मगर चलने में अपने पैर से ही चाल आती है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451