मंज़िल
ये जीवन हैं जीवन में सब होना हैं
कुछ पाना हैं तो कुछ खोना हैं
थोड़ा उम्मीद हैं तो ना उम्मीदी भी
संघर्ष के पथ पर ऐसे बढ़ते जाना हैं
मंज़िलो का यहाँ कुछ पता नही
हमको खुद एक नयी राह बनाना हैं
सितारे भी चमकेंगे खुद एक दिन
आसमाँ में हमको अपना मकाँ पाना हैं
खुद की मंज़िल ख़ुद का रास्ता
इस जहाँ से आगे एक जहाँ बनाना हैं
ऊँचे ऊँचे महलो में जन्म से जिसने राज़ किया
कर्तव्य पथ पर बढ़ कर आगे मंज़िल को पाना हैं
मुफ़लिसी में गुज़र बसर किये,ख्वाब बड़े देखे हैं
खुद को हमने तपा दिया मुश्किल अब हराना हैं
जीवन पथ पर बढ़ते रहना,मंज़िल नयी मिलेगी तुझको
साथ मिलेंगे नये-नये तुझको,तुझे हरदम बढ़ते जाना हैं
गर तूने ये सोच लिया,अब मैं कुछ कर ना पाऊँगा
आकिब’हार गया जीवन से,मुश्किल मंज़िल मिल पाना हैं
®आकिब जावेद