Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2022 · 1 min read

मंचों से कविता

आजकल कई मंचों से कविता
गुलाम होकर पढ़ी जा रही है
फिर पर्दे के पीछे मित्रों
कविता सहमी सी रोती जा रही है

सोचो ऐसे कवि ने जब मंच से
किन शब्दों की कतार लगाई होगी
वाह वाह वाली कविता
पढ़ी और झूठी शान गिनाई होगी

तय करते हैं कहां जाना हैं
वहीं अनसुनी बातें गढ़ी जा रही हैं
आजकल कई मंचों से कविता
गुलाम होकर पढ़ी जा रही है

कोई नेता के पक्ष में पढ़ रहा
कोई कविता विरोध में पढ़ी जा रही है
सच तो हवाओं में उलझा रहा
किन्तु हुआ ही नहीं जो
अफवाह के सहारे सच कही जा रही है

आजकल मंचों से कविता
गुलाम होकर पढ़ी जा रही है
गुलाम होकर पढ़ी जा रही है!!

संतोष जोशी
गरुड़, जिला बागेश्वर
(उत्तराखंड)

Language: Hindi
380 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वापस
वापस
Harish Srivastava
एक महिला की उमर और उसकी प्रजनन दर उसके शारीरिक बनावट से साफ
एक महिला की उमर और उसकी प्रजनन दर उसके शारीरिक बनावट से साफ
Rj Anand Prajapati
जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
इंद्रदेव की बेरुखी
इंद्रदेव की बेरुखी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मित्रता-दिवस
मित्रता-दिवस
Kanchan Khanna
Kohre ki bunde chhat chuki hai,
Kohre ki bunde chhat chuki hai,
Sakshi Tripathi
लगन की पतोहू / MUSAFIR BAITHA
लगन की पतोहू / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
Kumar lalit
प्यार का बँटवारा
प्यार का बँटवारा
Rajni kapoor
सच तो फूल होते हैं।
सच तो फूल होते हैं।
Neeraj Agarwal
😊आज का दोहा😊
😊आज का दोहा😊
*Author प्रणय प्रभात*
कब तक जीने के लिए कसमे खायें
कब तक जीने के लिए कसमे खायें
पूर्वार्थ
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
जल प्रदूषण पर कविता
जल प्रदूषण पर कविता
कवि अनिल कुमार पँचोली
।। निरर्थक शिकायतें ।।
।। निरर्थक शिकायतें ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
प्यार की बात है कैसे कहूं तुम्हें
प्यार की बात है कैसे कहूं तुम्हें
Er. Sanjay Shrivastava
कहानी-
कहानी- "खरीदी हुई औरत।" प्रतिभा सुमन शर्मा
Pratibhasharma
बचपन में थे सवा शेर
बचपन में थे सवा शेर
VINOD CHAUHAN
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
सत्य कुमार प्रेमी
कोई तंकीद
कोई तंकीद
Dr fauzia Naseem shad
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
पूनम की चांदनी रात हो,पिया मेरे साथ हो
पूनम की चांदनी रात हो,पिया मेरे साथ हो
Ram Krishan Rastogi
"प्यासा कुआँ"
Dr. Kishan tandon kranti
*अटल बिहारी जी नमन, सौ-सौ पुण्य प्रणाम (कुंडलिया)*
*अटल बिहारी जी नमन, सौ-सौ पुण्य प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आओ कभी स्वप्न में मेरे ,मां मैं दर्शन कर लूं तेरे।।
आओ कभी स्वप्न में मेरे ,मां मैं दर्शन कर लूं तेरे।।
SATPAL CHAUHAN
बलबीर
बलबीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
Next
Next
Rajan Sharma
2449.पूर्णिका
2449.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
यही जीवन है
यही जीवन है
Otteri Selvakumar
तेरी चाहत हमारी फितरत
तेरी चाहत हमारी फितरत
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...