भ्रम और तसल्ली
कभी क्षितिज की ओर देखा है?
वहां जहां मिलती है धरती आसमान से
पर ऐसा सच में नहीं होता
एक झूठ है ये
जो सच लगता है
एक झूठ जो धरती हर रोज़
आसमान के कानों में कहती है
एक झूठ जिसे सुनने
आसमान हर रोज़ धरती पर आता है
सच हमेशा सुंदर नहीं होता
शायद सच कभी सुंदर नहीं होता
झूठ ने बनाया है सुंदर इस दुनिया को
एक भ्रम के सहारे चल रही है दुनिया
एक भ्रम है जो चला रहा है ये दुनिया ।।
और एक भ्रम जो हमारे बीच है
सब कुछ काल्पनिक ही तो है
प्रेम का स्वरूप जो बस तसल्ली देता है साथ होने का …….