भोजपुरी सवैया छंद
#दुर्मिल सवैया छंद
24 वर्ण। 8 सगण। मापनी-
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घनघोर घटा गरजे बरसे, बिजुरी चमके सखि पावस मे़।
बदरा बरसे तब नेह जगे, सजनी गमके सखि पावस मे़।
चढ़ते अदरा बरसे बदरा, चपला दमके सखि पावस मे़।
परदेश बसे सजना जिनके, घर आ धमके सखि पावस मे़।।
#कुंतलता_सवैया
26 वर्ण। 8 सगण और लल। मापनी-
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वन मोर नचे घन शोर करें, जब चातक दादुर गीत सुनावत।
छिछली तटिनी उतराइ बहे, पावस नभ से जलथार गिरावत।
सखियां सब झूलत बागन में, झुलुआ सजना मुसकाय झुलावत।
जब सर्द समीर लगे तन में, सजनी तन में रति काम जगावत।।