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1 Oct 2024 · 1 min read

भूल जाती हूँ खुद को! जब तुम…

मानो कही खोगयी हूँ..
गुम शुम सी हो गयी हूँ..
ना रातों की नींद है..
ना दिन का शुकुन है..
ना दिल को चैन है..
ना दिल को करार है..
उठते, बैठते, सोते, जागते,
बस तुम्हें ही सोचती हूँ
तुम!
तुम ही तो मेरा जहान् थे.
तुम ही हसना,
तुम ही रोना,
तुम ही मानना,
तुम ही रूठना,
सब्ब.. कुछ तुम ही..!
भूल जाती हूँ खुद को
जब्ब..
जब्ब….
जब तुम याद आते हो..
क्यो आये थे जिंदगी में मेरी..
जब जाना ही था तो..
क्यो जताया था हक मुझपे..
जब रुलाना ही था तो..
जी चाहता है ऐसे..
ऐसे उड़ के जाऊँ और लिपट जाऊँ..
बस जब तुम याद आते हो…

मुद्गल..

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