भूख
पेट की अँतरियों पर जब
बल पर जाता है
रेगिस्तान की सूखी रेत की तरह
जब होंठ सूख जाते है
चलते चलते जब
पैरों में छाले पर जाते है
तब जुबान चीखकर
कह उठता है
भूख, भूख, भूख. . . !
पेट की अँतरियों पर जब
बल पर जाता है
रेगिस्तान की सूखी रेत की तरह
जब होंठ सूख जाते है
चलते चलते जब
पैरों में छाले पर जाते है
तब जुबान चीखकर
कह उठता है
भूख, भूख, भूख. . . !