Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2022 · 1 min read

” भाषा की जटिलता “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “
===============
आज हम अपने सपनों को भूल मैथिली भाषा को लेकर महाभारत कर रहें हैं ! कैसे बोलना चाहिए ,कैसे लिखना चाहिए और उचारणों के मापदंडों पर जमके टीका टिप्णियाँ हो रही हैं ! भाषा ,भेष भूषा ,उच्चारण मे विभिन्नता स्थान- स्थान
मे बदलता ही रहता है ! परमार्जित बंगला भाषा का विभिन्न रूप विभिन्न क्षेत्रों मे मिलता है ! भोजपुरी का भी यही हाल है ! आरा,छपरा से दूर निकल पड़ें तो भोजपुरी का स्वरुप ही बदल जाता है ! भाषा निर्मल गंगा है जो स्थानीय सम्पूर्ण शब्दावली को अपने साथ बहा के ले जाती है ! हम बातें बड़ी -बड़ी करते हैं ! पर हमारी विचारधारा संकीर्ण क्यों होती जा रही है ? ६० के दशक मे भागलपुर विश्वविध्यालय के तत्वाधान मे संताल परगना महाविधालय दुमका मे ” मैथिली विभाग ” प्राचार्य सुरेन्द्र नाथ झा के अथक प्रयास से खुल पाया ! डॉ विद्यानाथ झा ‘विदित ‘ एक मात्र विभाग अध्यक्ष थे ! ७० के दशक मे मात्र तीन विधार्थियों को ही जुटा पाए ! मैथिली साहित्य की परीक्षा मे एक विद्यार्थी ने सारे प्रश्नों को उत्तर ‘अंगिका ‘ भाषा देवनागरी मे लिखा ! उदाहरण स्वरुप ” हम्मे पढ़ने छियों विधापति एकटा महान कवि छलों “! सारे मैथिली प्राध्यापकों की बैठक भागलपुर विश्वविध्यालय बुलाई गयी और तर्क- वितर्क के बाद उस विधार्थी को अच्छे अंकों से पास कर दिया गया ! ….सही मे हम पहले ठीक थे ! अब हम भटकने लगे हैं ! यह मानसिकता कहीं हमारे सपने को चकनाचूर ना कर दे !!!!
================================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत

Language: Hindi
102 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वतन की राह में, मिटने की हसरत पाले बैठा हूँ
वतन की राह में, मिटने की हसरत पाले बैठा हूँ
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सच समझने में चूका तंत्र सारा
सच समझने में चूका तंत्र सारा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बदलते दौर में......
बदलते दौर में......
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
लगता है आवारगी जाने लगी है अब,
लगता है आवारगी जाने लगी है अब,
Deepesh सहल
शौक-ए-आदम
शौक-ए-आदम
AJAY AMITABH SUMAN
ఇదే నా భారత దేశం.
ఇదే నా భారత దేశం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
लिखता हम त मैथिल छी ,मैथिली हम नहि बाजि सकैत छी !बच्चा सभक स
लिखता हम त मैथिल छी ,मैथिली हम नहि बाजि सकैत छी !बच्चा सभक स
DrLakshman Jha Parimal
"आंधी की तरह आना, तूफां की तरह जाना।
*Author प्रणय प्रभात*
तुम नि:शब्द साग़र से हो ,
तुम नि:शब्द साग़र से हो ,
Stuti tiwari
दुनियां और जंग
दुनियां और जंग
सत्य कुमार प्रेमी
*रखो सम्मोहक बोली 【कुंडलिया】*
*रखो सम्मोहक बोली 【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
#DrArunKumarshastri
#DrArunKumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
Anand Kumar
वक्त के आगे
वक्त के आगे
Sangeeta Beniwal
சிந்தனை
சிந்தனை
Shyam Sundar Subramanian
भाई हो तो कृष्णा जैसा
भाई हो तो कृष्णा जैसा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अधूरी हसरतें
अधूरी हसरतें
Surinder blackpen
सुख-साधन से इतर मुझे तुम दोगे क्या?
सुख-साधन से इतर मुझे तुम दोगे क्या?
Shweta Soni
श्रम दिवस
श्रम दिवस
SATPAL CHAUHAN
आंसू
आंसू
नूरफातिमा खातून नूरी
जब तक नहीं है पास,
जब तक नहीं है पास,
Satish Srijan
परख: जिस चेहरे पर मुस्कान है, सच्चा वही इंसान है!
परख: जिस चेहरे पर मुस्कान है, सच्चा वही इंसान है!
Rohit Gupta
वक़्त गुज़रे तो
वक़्त गुज़रे तो
Dr fauzia Naseem shad
Us jamane se iss jamane tak ka safar ham taye karte rhe
Us jamane se iss jamane tak ka safar ham taye karte rhe
Sakshi Tripathi
खंड 8
खंड 8
Rambali Mishra
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
प्यार की बात है कैसे कहूं तुम्हें
प्यार की बात है कैसे कहूं तुम्हें
Er. Sanjay Shrivastava
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
Manoj Mahato
बरगद पीपल नीम तरु
बरगद पीपल नीम तरु
लक्ष्मी सिंह
"मैं मोहब्बत हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...