भाव, शब्द
भाव शब्द
शब्द पुष्प है भाव मूल है,
बिन मूल के शब्द शूल है।
भाव की है अभिव्यक्ति,
बिन भाव शब्द निर्मूल है।
परमात्मा की भाव शक्ति,
शब्दब्रह्म प्रतिध्वनि ऊं है।
एकोहम बहुस्यामि भाव,
सृष्टि सृजन का ही मूल है ।
भावो विदते देवा युक्ति,
भाव पक्ष करती प्रबल है।
भाव चेतना की शक्ति तो,
शब्द भाव का वाहक है।
बिन भाव के शब्द नहीं,
शब्द भाव का कारक है।
मूक जीव है शब्द हीन,
पर भावशील तो होता है।
भाव हृदय की है गहराई,
शब्द वाणी की शोभा है।
दोनों की युक्ति से मानव,
युवराज सृष्टि का होता है।
राजेश कौरव” सुमित्र”