Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Dec 2022 · 1 min read

भावना

अक्षराशी खेळता खेळता,
कविता माझी झाली.
शीघ्रकोपिंच्या साहवासात,
क्षमा मला मिळाली.
गर्विष्ठाच्या महालत,
नम्रता मिठीत आली.
क्रूर पाराद्या च्या कळापत,
दया घरात माझ्या आली.
ऋक्ष समाजात राहून,
स्निग्धा अंतरी निमाली.
विषमतेच्या बाजारात,
समतेने बाजी मारली.
भित्र्या माणसात मला,
शौर्ये ने स्फूर्ती दिली.
पाखंड्याच्या मेळ्यात,
खरी श्रद्धा, आस्था, दृढ झाली.
भक्तीच्या साथीनेच,
परमेश्वरी प्रसन्न झाली.
या विषम परिस्थितीत,
आस्था माझी बोलू लागली.
प्रसिद्धीची आशा मला नाही,
पण सिद्धी मला प्राप्त व्हावी.
अशांत या जगता मध्ये,
शांती सर्वत्र नांदावी.
संसाराच्या स्वरूपा मुळे,
मुक्तेची ओढ मला लागली…©

139 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3502.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3502.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
#ऐसे_समझिए…
#ऐसे_समझिए…
*प्रणय प्रभात*
मंजिलें
मंजिलें
Santosh Shrivastava
मन तो करता है मनमानी
मन तो करता है मनमानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कुछ रिश्ते भी रविवार की तरह होते हैं।
कुछ रिश्ते भी रविवार की तरह होते हैं।
Manoj Mahato
इश्क
इश्क
Sanjay ' शून्य'
𝐓𝐨𝐱𝐢𝐜𝐢𝐭𝐲
𝐓𝐨𝐱𝐢𝐜𝐢𝐭𝐲
पूर्वार्थ
मुझमें गांव मौजूद है
मुझमें गांव मौजूद है
अरशद रसूल बदायूंनी
ससुराल में साली का
ससुराल में साली का
Rituraj shivem verma
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
शेखर सिंह
प्रभु भक्ति में सदा डूबे रहिए
प्रभु भक्ति में सदा डूबे रहिए
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
नशा रहता है इस दर्द का।
नशा रहता है इस दर्द का।
Manisha Manjari
राम रावण युद्ध
राम रावण युद्ध
Kanchan verma
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
Neelofar Khan
जिस चीज को किसी भी मूल्य पर बदला नहीं जा सकता है,तो उसको सहन
जिस चीज को किसी भी मूल्य पर बदला नहीं जा सकता है,तो उसको सहन
Paras Nath Jha
समय बदल रहा है..
समय बदल रहा है..
ओनिका सेतिया 'अनु '
भाईचारा
भाईचारा
Mukta Rashmi
दिल में दर्द है हल्का हल्का सा ही सही।
दिल में दर्द है हल्का हल्का सा ही सही।
Ashwini sharma
* लक्ष्य सही होना चाहिए।*
* लक्ष्य सही होना चाहिए।*
नेताम आर सी
कितनी शिद्दत से देखा होगा मेरी नज़रों ने
कितनी शिद्दत से देखा होगा मेरी नज़रों ने
शिव प्रताप लोधी
*जाड़े की भोर*
*जाड़े की भोर*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
घटा घनघोर छाई है...
घटा घनघोर छाई है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मनका छंद ....
मनका छंद ....
sushil sarna
Grandma's madhu
Grandma's madhu
Mr. Bindesh Jha
जिंदगी से कुछ यू निराश हो जाते हैं
जिंदगी से कुछ यू निराश हो जाते हैं
Ranjeet kumar patre
मैं तुम्हें यूँ ही
मैं तुम्हें यूँ ही
हिमांशु Kulshrestha
"सावधान"
Dr. Kishan tandon kranti
*पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है (हिंदी गजल)*
*पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
सत्य कुमार प्रेमी
शिक्षक जब बालक को शिक्षा देता है।
शिक्षक जब बालक को शिक्षा देता है।
Kr. Praval Pratap Singh Rana
Loading...