भारत में श्रीराम बिना क्या?
भारत में श्रीराम बिना क्या?
श्रीराम है एक नाम में, सकल सृष्टि ब्रह्मांड समेटे
श्रीराम है एक नाम , भक्तों की जीवन-डोर सहेजे
समाहित है सारी आस्था, श्री राम के एक नाम में
धर्म-कर्म हैं निसृत सारे, श्रीराम के ही जीवन से
सारे ही आदर्श समेटे, मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते
नाम राम का जप करके ,नर हैं भवसागर तर जाते।
भारत में श्रीराम बिना क्या, भारत ,भारत होता ?
युग-युग का इतिहास सुनहरा, स्मृति में क्या होता?
संपूर्ण सभ्यता ,संस्कृति ,भारत की आज हमारी
गौरवशाली, आनंददायिनी, जग-श्रवण-सुखद है जो,
भारत में श्रीराम बिना क्या , जस के तस रह जाती ?
चिरकालिक पहचान हमारी, क्या अक्षुण्ण रह पाती?
रामायण हमने सुन रखी है, इस पृथ्वी पर श्रीराम रहे थे
अब पुनः पधारो हे श्रीराम ! भक्त सब आस लगा बैठे हैं
हे राम ! विश्व-कल्याण करो, अब उग्रवाद को संहारो
त्राहि-त्राहि करता जग कंपित , मर्यादा फिर कायम हो।
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–राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, मौलिक/स्वरचित।