आज़ाद
भारत माता के लालों में
एक से बढ़ कर एक लाल हुए।
जिनके बलिदानों के कारण
हम सब हैं यूँ खुश हाल हुए।
उनमें सबमें एक पूत हुआ जो,
सौ दुश्मन पर भारी था।
जग जाने नाम चन्द्र शेखर
सदैव आज़ाद तिवारी था।
माँ जगरानी पित सियाराम
भाबरा गांव अलीराज जिला।
प्रदेश मध्य की वसुधा से
हमको शेखर आज़ाद मिला।
वह विप्र वंश में जन्म लिया
हिंसा से कोई नहीं नाता।
गांधी संग मार्ग अहिंसा पर
चलता और हरि का गुन गाता ।
सन बाइस मुहिम खिलाफत थी,
जिसमें आजाद शरीक हुआ।
चौदह की उम्र में चन्द्रशेखर
बंदीघर की दहलीज छुआ।
न्यायाधिकारी ने पूछा,
तू नाम बता बालक अपना।
आजाद नाम है मेरा सदा,
आजादी मेरा है सपना।
अधिकारी गुस्से में आकर,
पन्द्रह कोड़े की सजा दिया।
वन्देमातरम कहते कहते,
पूरे कोड़े स्वीकार किया।
जब जलियांवाला काण्ड हुआ
थी हत्या हुई हजारों की।
आजाद ने मुठिया पकड़ लिया,
बारूद भरे औजारों की।
शेखर बोला है मोल नहीं,
अब सत्य अहिंसा या गांधी।
बिजली समान गिरना होगा,
दुश्मन पर बनकर के आंधी।
कहता तिवारी ले लूंगा,
कोड़ों का पूरा हर्जाना।
बिस्मिल संग मिलकर लूट लिया,
काकोरी में ट्रैन का खजाना।
लाला की मृत्यु बदले में
सांडर्स व दल को मार दिया।
आज़ाद रहा आजाद सदा,
जुल्मी पर वार पे वार किया।
आजादी के खातिर शेखर,
कई नाम धरे कई रूप धरे।
जब तक जीवित संघर्ष किया,
दिखते सदैव निज मान भरे।
अल्फर्ड पार्क में हो रही थी,
अंग्रेजों से गोलीबारी।
एकल ही डटा रहा शेखर,
चलती गोली बारी बारी।
आजाद को कैद पसन्द न था,
पिस्तौल में थी एक ही गोली।
सो खुद को गोली मार लिया,
जय भारत माँ की कह बोली।
माँ का वह पूत दीवाना था,
आजादी फ़क़त इबादत थी।
चौबिस की उम्र में शेखर की,
निज देश के लिये शहादत थी।
सतीश सृजन, लखनऊ.