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10 Apr 2022 · 1 min read

भारत को क्या हो चला है

ये मेरे भारत को क्या हो चला है,
इंशान इंशान को मिटाने को चला है !
ये केसा दौर आ गया है यारों,
हिंदू मुसलमान- मुसलमान हिंदू को मिटाने को चला है !

हज़ारों आए हैं, हज़ारों चले गए इस फ़ानी दुनिया से ,
यारों वो खुद से खुद को मिटाने को चला है !

वो इस मोहब्बत के दौर मैं नफ़रत फेलाने को चला है,
अज़ीब इंशान है यारों खुद को जलाने को चला है !

वो हिंदू मुसलमान को लड़ाने को चला है ,
वो अज़ीब इंशान है यारों खुद को मिटाने को चला है !

वो नफ़रती जाल मैं हमें फ़साने को चला है ,
हमें आपस में लड़ा कर मिटाने को चला है !

इस्माईल की क़लम को रुकाने को चला है,
इस दौर मैं नफ़रत फेलाने को चला है ,
मैं कबसे कह रहा हूँ ए इंशा तुझसे ,
तू क्न्यो खुद से खुद को मिटाने को चला है !

ये मेरे भारत को क्या हो चला है ,
इंशान इंशान को मिटाने को चला है !!

“इस्माईल खान मेवाती”

Language: Hindi
5 Likes · 3 Comments · 277 Views
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