भारत के बेटे
हम भी तो भारत के बेटे हैं
आख़िर तुमसे क्या लेते हैं!
रूखी-सूखी रोटी के बदले
तुम्हें ख़ून-पसीना देते हैं!!
तुम्हारी चमक-दमक से दूर
बजबजाती हुई गलियों की!
झुग्गी-झोपड़ियों में अपनी
हम पूरी दुनिया समेटे हैं!!
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