“भारत की नारी”
“भारत की नारी”
हे भारत की नारी
क्या दशा हुई तुम्हारी II
तेरे आने की आहट से
सहमी है जग जननी नारी II
जब भी हुआ तेरे आने का आगाज
दुश्मन हुई दुनिया ये सारी I
भूर्ण में भी तुझको न बख्शा
माता की भरी कोख उजाड़ी II
हे भारत की नारी
क्या दशा हुई तुम्हारी II
हुआ जन्म जिस घर में तेरा
न बजी घर में खुशियो की थाली I
कही किसी ने मुह सिकोड़ा
तो किसी ने पैदा होते ही मारी II
हे भारत की नारी
क्या दशा हुई तुम्हारी II
कैसे बीता बचपन तेरा
कभी न किसी ने ये विचारी I
सबका जूठन तूने खाया
सबके बाद जब आई बारी II
हे भारत की नारी
क्या दशा हुई तुम्हारी II
घर आँगन माँ बाबुल त्यागे
खो गयी खुशियो की किलकारी I
चढ़ा दी बलि दहेज़ की खातिर
किसी ने अग्नि दाह से मारी II
हे भारत की नारी
क्या दशा हुई तुम्हारी II
तुझ बिन सूना ये आँगन संसार
नही आती घर में खुशहाली I
बिन तेरे नही कोई काज सफल
फिर तू ही क्यों लगे सबको भारी II
हे भारत की नारी
क्या दशा हुई तुम्हारी II
सीता से द्रौपदी तक हुआ तेरा अपमान
सब ने तुझपे बुरी दृष्टि ही डाली
फिर भी ये मानव अत्याचारी
कहे मै हुँ देवी का पुजारी …….२
हे भारत की नारी
क्या दशा हुई तुम्हारी II
—-:: डी. के निवतियाँ ::—–