भारत की नारी
अब मत सह
ओ भारत की नारी
क्यूँ सहती चुपचाप
तू तकलीफें सारी
है आखिर किस वेद, ग्रंथ में लिखा
कि पुरुष हैं तुझपर
हाथ उठाने के अधिकारी;
आखिर कब तक
तू ये जुल्म सहेगी
समाज के झूठे
आडम्बरों से डरेगी;
अब बस भी कर
तू चुपचाप ये सहना
अब खुद की रक्षा
तू स्वयं करेगी;
चल उठ खड़ी हो
अब आवाज उठा तू
अपने आत्मसम्मान को
जाग्रत कर तू
क्योंकि तू भी है
पुरुषों पर भारी
अब मत सह
ओ भारत की नारी ||
प्रतीक्षा साहू”पूनम”