भारतीय सेना के नाम
तुम वहाँ सीमा पर रतजगा करते हो,
हम यहाँ चैन से सोते हैं,
यहाँ जब तापमान २० डिग्री होता है,
हम ठिठुरते हैं घर से बाहर निकलते डरते हैं,
तुम वहाँ -२० डिग्री तापमान में निकलते हो,
देश की सीमा पर बर्फ भरी राहों में भटकते हो,
मेरे देश पर कोई बुरी नजर ना डाल पाये,
तुम हर तरफ अपनी पैनी नजर रखते हो,
हालात कुछ ऐसे होते हैं,
रोज पानी पीने को कुआँ खोदना होता है,
वहाँ राम भी हैं, वहाँ रहीम भी हैं,
वहाँ नानक भी हैं, वहाँ जॉन भी हैं,
मेरे देश की ही सेना ऐसी है,
जहाँ हर तरह के रंग होते हैं,
जहाँ रातों को निकलने में हम घबराते हैं,
वही तुम ब्याबान जंगल में निर्भय भ्रमण करते हो,
मेरे देश पर कोई आंच न आ जाए,
तुम हर तरह से इस देश की रक्षा करते हो,
ज़रा सी लू में उड़ती धूल से घबराकर,
हम घरों में पनाह लेते हैं,
तुम वहाँ रेगिस्तान की धूल भरी आँधियों में,
सिर्फ देश की खातिर भटका करते हो,
मेरे देश पे कोई तिरछी निगाह न डाले,
तुम हर तरह से ये पक्का करते हो।
मेरी धरा के वीर सपूतों तुम्हे प्रणाम,
जिस माँ ने तुम्हे जन्म दिया
उसके चरणो में प्रणाम।
“संदीप कुमार”