भांतु बरादरी उठाइलो
***** भांतु बरादरी उठाइलो *****
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करी लो शुकराना बाबे रोशना का
भांतुवों पर मेहरबान बाबे रोशना का
करि दिये कट्ठे. बिखरोड़े कोमां को
वारी वारी जांगड़ै बाबे रोशना का
सहंसमल की मूल जाति भांतू हैगड़ी
भेड़कुट,सैंसीं,छारा,नट कंजर,हबुड़ी
मनेष और सारे कंजर हैं उपजातियाँ
थाँईं लाई ही दिये जो बाबे रोशना का
सारे के सारे भांतु ईब कट्ठे भी होइजो
न्यारे न्यारे उठाओड़े झंडें भी तोड़ीलो
भूल़ी जो थम सारियां अपणीया बातां
डंडे में झंडा हो भांतु बाबे रोशना का
म्हारिया फूटा का फैदा होर उठाई रहे
म्हारे काम धंधे भी नाहीं सिरे चढ़ी रहे
भांतु भाषा,संस्कृति विकास होता रहे
एक नारा भी लाइदो बाबे रोशना का
पढाइया लिखाइया बिना हैं कांई नहीं
चिकु मिकु में धरया हैगड़ा कांईं नहीं
कांहीं को आपसां में हैं हम कटी रहे
बरादरी भी उठाइलो,बाबे रोशना का
सुखविंद्र राजनितियाँ में हैं काहीं नहीं
आर्थिक,समाजिक हालात ठीक नाहीं
छोटियां बातां पर ही हम उजड़ी हैं रहे
कांईं कुछ तो करी दो ,बाबे रोशना का
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)