भविष्य
भविष्य
आज का युवा
कल का है भारत
कल का है भविष्य
देखता हूँ अक्सर
करते हुए
गाली-गलौच उसे
लांघते हुए सीमा
सभ्यता की
करते हुए आत्मसात
नैतिक पतन को
करता हुआ अवहेलना
कायदों की
जीता हुआ झूठी शान में
मैं हूँ चिंतित
भारत के
भविष्य को लेकर
-विनोद सिल्ला©