भगवान राम रक्षा स्तोत्रम
भगवान राम रक्षा स्तोत्रम
महा विराट भव्य भाल विष्णु रूप राम हैं।
सदैव त्याग भावना विशाल भव्य धाम हैं।
किया करें सहर्ष योग साधना सुशील हैं।
पुनीत कर्म सर्व धर्म भाव नीति पील हैं।
परार्थ जी रहें सदैव शिष्ट प्रेम कामना।
सदैव संत रक्ष हेतु सुष्ठ सभ्य भावना।
चले सदेह वीर धीर हो रचे विधान को।
प्रणाम हो सदैव शांति दूत राम नाम को।
करो सहर्ष वंदना भजो सदैव राम को।
रहो अमर्त्य राम संग देख राम धाम को।
रमापती रमेश चंद्र राम राघवेन्द्र हैं ।
त्रिलोकनाथ लोकपाल सत्य सा नरेंद्र हैं।
सपूत स्तुत्य राग द्वेष से उठे नरेश हैं।
त्रिदेव रूप भ्रांतिहीन शक्ति भक्ति वेश हैं।
सदैव प्रीति भव्य नव्य न्याययुक्त साधना।
सहस्र नाम विष्णु नाम साधु अर्थ जानना।
खुली किताब स्पष्ट सर्व लोक मान्य सर्वथा।
भविष्य वर्तमान भूत ज्ञान सिन्धु अर्थता।
कणस्थ विद्यमान राम ईश विश्व नंदना।
समग्र लोक में प्रसिद्ध राम चन्द्र वंदना।
समस्त रिद्धि-सिद्धियां विधायिका सहायिका।
अनन्त देव मण्डली सदैव राम गायिका।
विवेक नीर क्षीर का यथार्थ राम चन्द्र हैं।
तलाश शांत सिन्धु की परार्थ राम चन्द्र हैं।
प्रशंसनीय कर्म क्षेत्र धर्म क्षेत्र राम हैं।
स्वयं प्रमाण सिद्ध राम पुण्य क्षेत्र काम है।
अजीत सर्व जीत इंद्र दिव्य देव धाम हैं।
अजेय रावणारि राम दंभचूर राम हैं।
अहं विकार चूर चूर पूर लोक मंगला।
यही पवित्र सोच मंत्र आत्म सूत्र हो भला।
सनातनीय मूल्य स्रोत आदि अंतहीनता।
विशिष्ट शिष्ट हृष्ट पुष्ट नीति नेह नम्रता।
एक तत्व राम तत्व पूर्ण तत्व अमृता।
सहानुभूति राम से रहें सभी सुरक्षिता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।