भक्ति की शक्ति
हे सृष्टा तेरी शक्ति ने, किया सदा जग का उद्धार।
कृपा है तेरी अपरिमित, तेरी भक्ति की शक्ति है अपार।।
जब-जब कष्ट भक्त पर आया, तूने बेड़ा पार लगाया।
कण-कण में प्रभु दर्शन तेरे, अणु-अणु में है तेरी ही माया।।
भक्त वत्सल तू हर पल भक्त की, नैया को करता है पार।
कृपा है तेरी अपरिमित, तेरी भक्ति की शक्ति है अपार।।
मीरा ने विष पान किया प्रभु, तूने अमृत बना दिया।
भक्त की भक्ति के बदले, इतना अमूल्य उपहार दिया।।
तेरी दया की न कोई सीमा, है तेरी करुणा अपरम्पार।
कृपा है तेरी अपरिमित, तेरी भक्ति की शक्ति है अपार।।
भक्त प्रहलाद ने बैठ अग्नि के, अंक में तेरा नाम जपा।
दावानल के मध्य अछूता, निकला खरे स्वर्ण सा तपा।।
बाल न बांका हुआ भक्त का,चकित हुआ सकल संसार।
कृपा है तेरी अपरिमित, तेरी भक्ति की शक्ति है अपार।।
तेरे भक्ति प्रताप से तर गये, सुदामा शबरी अहिल्या केवट।
अहोभाग्य सच्चे भक्तों का, जो तूने दर्शन दिए प्रकट।।
आज वीभत्स हुआ है ये जग, ले ले प्रभु अब तो अवतार।
कृपा है तेरी अपरिमित, तेरी भक्ति की शक्ति है अपार।।
अनीति, दंभ, व्याभिचार से, पग-पग पर पीड़ित तेरे भक्त प्रभु।
दुष्ट कर रहे तानाशाही, निरीह के साथी सिर्फ अश्रु।।
अब वह समय आ गया भगवान्, दुष्टों का कर तू संहार।
कृपा है तेरी अपरिमित, तेरी भक्ति की शक्ति है अपार।।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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