*बॉंसुरी बंधु बजाओ (कुंडलिया)*
बॉंसुरी बंधु बजाओ (कुंडलिया)
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आओ मेरे कृष्ण के, थोड़ा प्रियवर पास
सच्चा वह ही मित्र है, होगा यह आभास
होगा यह आभास, बॉंसुरी बंधु बजाओ
छोड़ो सब छल-छद्म, गोप-गोपी बन जाओ
कहते रवि कविराय, रास के क्षण फिर गाओ
मुरलीधर श्री श्याम, नेह से घर-घर आओ
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रचयिता:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451