बेशर्मी से … (क्षणिका )
बेशर्मी से … (क्षणिका )
अन्धकार
चीख उठा
स्पर्शों के चरम
गंधहीन हो गए
जब
पवन की थपकी से
इक दिया
बुझते बुझते
बेशर्मी से
जल उठा
सुशील सरना
बेशर्मी से … (क्षणिका )
अन्धकार
चीख उठा
स्पर्शों के चरम
गंधहीन हो गए
जब
पवन की थपकी से
इक दिया
बुझते बुझते
बेशर्मी से
जल उठा
सुशील सरना