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8 Aug 2024 · 2 min read

बेलपत्र

कहते हैं
प्रतिष्ठित-प्रतिबिंब
अद्भुत अहसास संग परिवार
फिर भी
हाँ फिर भी मौन आभास
✨️
धरा की धुरी से लिपटी ये जात
बाग के किसी कोने से लग
जड़ो को बांध छुती आकाश
विशाल होती वो सावन की आस
🌧
जैसे कहता हो मन

कहता है मन
सुन न ओ तन
मैं हुँ वही
जिये तुम कभी मान जिसको एकांत
वृक्ष की शाखा अनंत में प्राण
अनगिनत संग विनती
ज्यादातर तीन कभी चार मिलती
और मलंग जब भर जाये पल्लवन में प्राण
पत्तियों के मध्य पाँच भी बुनती
🌳

समय अब समर्पण का है
जिसने गढ़ा छांव
चरणों में उसके अर्पण का है

इंतज़ार में कबसे
तन और मन
विछोह में शाखाएं
हवा से बतियायें
फिर भी न जाने
क्यूँ उत्सव में मन
🧡

शायद परमार्थ हमारा यही
जन्म धरा पर उद्देश्य
बस सावन कहीं
छु जाये हमको
तोड़े वहीं
संभाले
तराशे
चंदन लगाये
काँटों से बच के सहलाये वहीं

कहाँ

जहाँ शिव विराजे एकांत को राजे
शिवाला शिखर पर्वतों को तारे
जननी को रंगने प्रेम के रंग में
गौरी संग गौरा वसुधा पधारे
धोने चरण
झुमें पवन
बरसे गगन
🌧
नमी देख आँखों में आखिरीबार
विछोह की रस्म करने को पुर्ण
वृक्ष बेल कहे सहसा मत हो उदास
सुनो अंश मेरे पुजित हुँ तुमसे
तृप्त करता रहा तुम्हारा ये त्याग
🌿
नव या पुरातन धरा का #सावन
श्रेष्ठ है अब भी तुम्हारा श्रृंगार
शिवलिंग की महिमा कृपा आपार
जागृत जहाँ शिव का परिवार
महादेव का मस्तक
आचमन हो तुम
ऐ बेलपत्र जन्म उद्धार…🌳

ऐ बेलपत्र …..🌿🌿🌿🌿🌿……जन्म उद्धार…☀️
©️®️
दामिनी नारायण सिंह 🖋🧡

DaminiNarayanSinghQuotes DaminiQuote

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