बेमौसम फिर गरजे बादल
बेमौसम फिर गरजे बादल, बेमौसम बरसात हुई
वे मौसम फिर जमी बर्फ, और यह रातें सर्द हुईं
ना जाने क्यों उमस बड़ी, बेमौसम गर्म हवाएं हुई
गीत नहीं संगीत नहीं, यह कैंसा बागे बहारा है
फूल सूल हो गए चमन में, क्या यह वतन हमारा है
मौन हुई है सोन चिरैया, अब नहीं गाती है गौरैया
मोर नाचना भूल गया है, कहां गए तुम कृष्ण कन्हैया
पल-पल बदल रहे मौसम में, बुलबुल फिर हैरान हुई
बेमौसम फिर गरजे बादल, बेमौसम बरसात हुई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी