बेटी क्या संतान नहीं….?
दुनियां वालो ये बतलाओ….. ?
बेटी क्या संतान नहीं ?
मन्नत करते बेटे को,
क्या बेटी कुल का मान नहीं ?
खुद एक मां किसी की बेटी है,
फिर भी खुद बेटों की चाहत रखती है ।
बेटी होकर बेटी की चाह नहीं,
क्या बेटी का कोई सम्मान नहीं ?
जब बेटी न होगी दुनियां मे,
तो वधु कहां से लाओगे ?
बिन बेटी सब स्वप्न अधूरे ।
बेटा – बेटी में कोई फ़र्क नहीं ।।
कंधे से कंधा मिलाकर चलती,
वीरांगना सी लड़ती है रण में ।
दुर्गा, काली, लक्ष्मी सा अवतार है बेटी,
मत मारो बेटी को, ये कोई शाप नहीं ।।
हर बेटी की किस्मत में मां-बाप हैं,
मगर हर मां-बाप की किस्मत में बेटी नहीं ।
इज्जत करो बेटी की,
क्योंकि बेटी कोई बोझ नहीं ।।
डां. अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)