**बेटी के नाम —बाबुल का पैगाम**
“”बेटी के नाम— बाबुल का पैगाम””
**बेटी**
बड़े अरमानों से पाला है, संस्कारों की पहनाई माला है।
** बेटी**
रुखा सुखा मिला, खुद खाया है,
तुझे मनवांछित ,खिलाया पहनाया है।।
**बेटी**
मैं पढ़ न सका ,तुझे काबिल बनाया है।
यौवन की दहलीज पर ,तूने कदम रखे,
मन मेरा घबयाया है ।।
** बेटी**
अच्छे घर हो रिश्ता तेरा ,रिश्तेदारों में संदेश पहुंचाया है।
कठिन खोज परक के बाद, एक सुयोग्य वर पाया है।।
** बेटी**
तुझे डोली में बिठाने का ,शुभ अवसर आया है।
घर परिजन ने मिलकर, तुझे डोली में बिठाया है।।
** बेटी**
तुम चली साजन के आंगन ,खुशी का आंसू आया है ।।
** बेटी**
जाओ प्यारी, मेरे आंगन की फुलवारी ।
समधी के घर की, बन जाना क्यारी।।
**बेटी**
उस क्यारी में ,खुशियों के फूल खिलाना ।
मेरे घर की शान, वहां भी बढ़ाना ।।
** बेटी**
सास ससुर देवर भोजाई, सब पर प्यार लुटाना।
अपने जीवन संगी का, अमिट प्यार तू पाना।।
**बेटी**
मेरा शिश झुकने न पाए, कुछ न ऐसा करना।
दुख को अपना बना के साथी ,सुख से उसको भरना।।
** बेटी **
बाबुल की यह पाती, साजन की तू साथी है।
तेरे संग जो जीवन बिता, उसकी याद सताती है ।।
**बेटी**
मैंने सब कुछ, तुझ पर छोड़ दिया ।
तेरे सपनों का संसार ,तुझको सौंप दिया।।
** बेटी **
आंसू आए पी लेना ,गुस्सा आए चुप रहना।
याद सताए, पलके झुका लेना ।
दुख ,सुख दोनों में, एक सारिका जी लेना।।
**राष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष**
———राजेश व्यास अनुनय