बेटियाँ
ओस की एक बूंद सी होती है बेटियाँ ।
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती है बेटियाँ ।
रोशन करेगा बेटा तो एक ही कुल को ।
दो-दो कुल की लाज होती है बेटियाँ ।
कोई नही है दोस्त एक दूसरे से कम ।
हीरा अगर है, बेटा तो मोती है बेटियाँ ।
कांटो की राह पर ये खुद चलती है ।
औरो के लिए फूलो बरसाती है बेटियाँ ।
विधि का विधान है, यही समाज की है परम्परा ।
अपने प्रियो को छोड़ पिया के घर जाती है बेटियाँ ।
बेटी न पराया होती,यह मै सुनती आयी ।
दर्द -बिदाई क्या है आज समझ मे आया ।
गम और खुशी का रिश्ता ये अजीब है ।
मेरी परछाई मुझसे ले रही बिदाई ।
जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नही है ।
जहां काबिज न हो बेटियाँ ।
Rj Anand & Sadhana