बेटियाँ और छद्म राष्ट्रवाद
हिरण
गाय
शेर भगेरे चीते से भी
कम आकी गई
मेरी लाडो.
ये छद्म राष्ट्रवाद है
तू राष्ट्रवाद से बाहर है
कहाँ छुपाते
उन्हें कैसे लतियाते
मिल बैठकर
आज बतियाते
सोमरस सुरापान पीकर
चौतरफे पाकर
समाजवाद राष्ट्रवाद
निभाती सरकारें
उदाहरण द्रोपदी सीते
जस् कैसे बचते
एकलव्य कर्ण जैसे नहीं अछूते
पाखंड धरोहर जिनकी
परम्परा आज की कैसे छोड़ते
वट पीपल तुलसी पूजने वाले
कर्महीन फायदे कैसे परखते
शक्तिशाली तूझे दिखाकर
भैरव भस्मासुर रुप दिखाते
लक्ष्मी, सरस्वती, शारदे
उपमा करते
पूजन कर आहे भरते.
ब्रह्मचर्य व्रत का पालन हठ से करते
प्रकृति का तिरस्कार करते,
सनातन शाश्वत की आड़ में
ये भांड इंसान इंसान में भेद करते.
अबला कहकर डायन कहते
अछूत दलित निर्बल बनाकर
खुद को धार्मिक समझते.