बेख़बर
नही बदलने वाला ये दृश्य मित्रा
यदि तू यों घर पर ही बैठा रहेगा ।
लूट रहे है जिहादी इस देश को
फिर भी तू यों ही बेखबर रहेगा ।।
प्रश्न नही है उनसे जो बेखबर है
क्या तू इनसे जीत नही पायेगा ।
दिखा दो इस दुनिया को जिन्दा है तू
मृत बनके कुछ नही कर पायेगा ।।
क्यों रोकता है इन कदमो को तू
यूँ डर डर के कुछ ना कर पायेगा ।
आवाज कही खो जायेगी तेरी
कोई इसको सुन भी न पायेगा ।।
लगता है एक कायरता ने घेरा है
या तुझको इस देश से प्यार नही ।
लगता है द्रोण समाया है तुझमे
या इन गद्दारो मे सम्मिलित हो कही ।।
पराजित नही होगी कभी तेरी हिम्मत
क्यों नही करते इस ह्रदय को कड़क ।
करते हो यदि तुम प्रेम इस देश से
दिल्ली से कराची तक भर दे सड़क ।।