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8 Feb 2023 · 1 min read

बुलन्दी शोहरत हो कितनी,

बुलन्दी शोहरत हो कितनी,
अदब का साथ न छोड़ें।
बदलता शम्स का कैसे,
मर्तवा रोज दिन भर में।

सतीश सृजन

1 Like · 469 Views
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