Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Mar 2023 · 3 min read

*बुरा न मानो होली है(हास्य व्यंग्य)*

बुरा न मानो होली है(हास्य व्यंग्य)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
जिस किसी ने भी यह नारा दिया है कि बुरा न मानो होली है , वह बहुत बुद्धिमान व्यक्ति रहा होगा । उसे पता है कि दूसरे व्यक्ति के साथ कुछ ऐसा किया जा रहा है, जो उसे बुरा लगेगा । इसलिए होली के अवसर का लाभ उठाते हुए पहले तो उसको भड़का दिया और फिर उसके बाद जब भड़कने पर आया , तब उसके सामने यह कहने लगे कि बुरा न मानो होली है । यानि बुरा मानने की परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।
अच्छे खासे धुले हुए, प्रेस किए हुए कपड़े पहनकर आदमी ससुराल जाता है और वहाँ पर सालियाँ उसके नए रेडीमेड कपड़े रंग में पोत देती हैं। बेचारा बुरी तरह से लाल- पीला होना चाहता है लेकिन तभी यह स्वर उठता है “जीजा जी ! बुरा न मानो होली है” अर्थात होली के अवसर पर बुरा नहीं माना जाता। बेचारा जीजा मुस्कुराकर रह जाता है । थोड़ा आगे बढ़ता है । खाट पर बैठता है। नीचे धड़ाम से गिर जाता है। खाट खाली है। अर्थात बिना बुनी हुई है । केवल चादर बिछी थी । फिर गुस्से में लाल- पीला होता है। मगर फिर यही सुनने को मिलता है “बुरा न मानो होली है “।
हालत तो तब खराब होती है जब व्यक्ति को भोजन में भाँग मिला दी जाती है और भरपेट खिला दिया जाता है। दिन भर सोता रहता है और जब उठता है , तब सोचता है कि आज कौन सा दिन है ? तब उसको बताया जाता है कि होली तो बीत गई । वह बुरा मानता है। लेकिन फिर वही आवाज उसके कानों में पड़ती है -“बुरा न मानो होली है ”
कई लोगों को तो सड़क पर जाते-जाते उनकी रिक्शा-कार – स्कूटर आदि रोककर लोग रंग से पोत देते हैं। वह बेचारे पता नहीं किस काम से जा रहे होते हैं। कई बार आवश्यक कार्य भी होता है। लेकिन क्या कर सकते हैं ? लोग- बागों ने पहले पोता और उसके बाद शोर मचा दिया” बुरा न मानो होली है ।”
कई लोग गुब्बारे अपने घर की छतों से दूसरे घरों की छतों पर फेंकते हैं । सड़कों पर फेंकते हैं । आते – जाते व्यक्तियों को निशाना बनाते हैं। किसी के चोट लग जाए तो भी उन्हें क्या ! उन्हें तो केवल एक ही नारा आता है -“बुरा न मानो होली है ”
होली वाले दिन किसी के कपड़े फाड़ दो और फिर कह दो “बुरा न मानो होली है”, तो काम चल जाता है । अर्थात होली वाले दिन सॉरी अथवा माफ कीजिए अथवा क्षमा कीजिए आदि शब्दों के स्थान पर “बुरा न मानो होली है” यह शब्द- प्रयोग प्रचलन में आ गया है । अगर कोई कहे “बुरा न मानो होली है” तो इसका मतलब है कि जरूर कोई ऐसा काम हुआ है या हो रहा है या होने वाला है ,जिसमें बुरा लगना आवश्यक है।
तो क्यों न हम ऐसा काम करें, जिसमें व्यक्ति को बुरा लगे ही नहीं । उसको सुंदर – सुंदर पकवान खिलाओ। दहीबड़े खिलाओ । इसमें कहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी कि “बुरा न मानो होली है ।”
किसी व्यक्ति को केमिकल रंगों के स्थान पर फूलों की वर्षा करो , तब फिर कौन कहेगा “बुरा न मानो होली है”। किसी भी व्यक्ति के ऊपर जो जा रहा है, अनावश्यक रूप से बल प्रयोग करके रंगों से पोतने की कोशिश न की जाए, तो सब प्रफुल्लित हो उठेंगे और सिर्फ यही कहेंगे कि “होली है भई होली है” । तब फिर किसी को यह कहने की आवश्यकता नहीं रहेगी “बुरा न मानो होली है”
———————————————–
लेखक : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 615 451

726 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
भारत की पुकार
भारत की पुकार
पंकज प्रियम
"सुरेंद्र शर्मा, मरे नहीं जिन्दा हैं"
Anand Kumar
स्वातंत्र्य का अमृत महोत्सव
स्वातंत्र्य का अमृत महोत्सव
surenderpal vaidya
ज़िन्दगी एक उड़ान है ।
ज़िन्दगी एक उड़ान है ।
Phool gufran
दिल तोड़ना ,
दिल तोड़ना ,
Buddha Prakash
न्याय तो वो होता
न्याय तो वो होता
Mahender Singh
साईं बाबा
साईं बाबा
Sidhartha Mishra
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
साँझ ढली पंछी चले,
साँझ ढली पंछी चले,
sushil sarna
"प्रेम की अनुभूति"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जिस बस्ती मेंआग लगी है
जिस बस्ती मेंआग लगी है
Mahendra Narayan
यूज एण्ड थ्रो युवा पीढ़ी
यूज एण्ड थ्रो युवा पीढ़ी
Ashwani Kumar Jaiswal
अब तो आ जाओ सनम
अब तो आ जाओ सनम
Ram Krishan Rastogi
💐💞💐
💐💞💐
शेखर सिंह
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
shabina. Naaz
दिवाली
दिवाली
Ashok deep
💐Prodigy Love-17💐
💐Prodigy Love-17💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भाई बहन का प्रेम
भाई बहन का प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
2997.*पूर्णिका*
2997.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नारी के कौशल से कोई क्षेत्र न बचा अछूता।
नारी के कौशल से कोई क्षेत्र न बचा अछूता।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
■ पांचजन्य के डुप्लीकेट।
■ पांचजन्य के डुप्लीकेट।
*Author प्रणय प्रभात*
जब कभी  मिलने आओगे
जब कभी मिलने आओगे
Dr Manju Saini
17- राष्ट्रध्वज हो सबसे ऊँचा
17- राष्ट्रध्वज हो सबसे ऊँचा
Ajay Kumar Vimal
वर्णमाला
वर्णमाला
Abhijeet kumar mandal (saifganj)
वाह नेता जी!
वाह नेता जी!
Sanjay ' शून्य'
मैं जान लेना चाहता हूँ
मैं जान लेना चाहता हूँ
Ajeet Malviya Lalit
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
हमें सलीका न आया।
हमें सलीका न आया।
Taj Mohammad
*ईख (बाल कविता)*
*ईख (बाल कविता)*
Ravi Prakash
हिसाब
हिसाब
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Loading...