बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -191 के श्रेष्ठ दोहे (छिड़िया)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -191
शनिवार, दिनांक – 23/11/2024
प्रदत्त शब्द- #छिड़िया (जीना, सीढ़ी)
संयोजक राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
1
छिड़ियाँ मइहर माइ कीं,पूजीं बारा साल।
किरपा भइ सो खेल रय,घर में जुड़वा लाल।।
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-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
2
मइ हर मइया शारदा,छिड़ियाँ चड़ौ अनेक।
तब कउँ दरसन पात है,चरनन माथों टेक।।
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-शोभाराम दाँगी,नदनवारा
3
ऊँची मड़िया माइ की,देख हिया हरसाय।
बूड़ो-ठूड़ो आदमी,छिड़ियाँ बमकत जाय।।
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-संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली
4
पिया अटरिया मैं अधर,बिषधर छिड़ियन बीच।
ब्रम्ह जीव बिच फैल गव,जौ मायावी कीच।।
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-आशा रिछारिया, निवाडी
5
गाॅंव बजारन में हती,चोंरी चकरी पैल।
छिड़िया पै छिड़िया धरी,सकरी हो गइ गैल।।
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-आशाराम वर्मा ‘नादान’पृथ्वीपुर
6
ज्वानी में चढ़ जात ते,सिड़ियाॅं कैउ हजार।
आउ बुढ़ापौ अब हमें, चढ़तन चढ़त बुखार।।
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-डाॅ० राम सेवक पाठक ‘हरिकिंकर”, ललितपुर
7
नाव-राम खों नित जपो,दैहें प्रभु सोगात।
छिड़िया उमदा जा बनी,सूदी सरगे जात।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा,विदिशा
8
ई कलजुग के आसरे,हो गय तुलसीदास।
रामायन सी दै गये, छिड़िया रचकें खास।।
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– डॉ. देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलेहरा
9
छिडिया पैसें रिपटकें,गिरी मोंचगव पांव।
चिल्याबो सुन दौरकें,मैंने आन उठाव।।
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-एम.एल.त्यागी, खरगापुर
10
बागेश्वर सें चल परी , मनइँ ओरछा धाम ।
छिड़िया पै धन्नै मुड़ीं , आँगें जाने राम ।।
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– प्रमोद मिश्रा, वल्देवगढ
11
घर बैठें सौरत मिलै,करियौ नौनें काम।
करमन से छिड़िया चढ़ौ,जितै मिलत हौं राम।।
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-सुभाष सिंघई ,जतारा
12
पैली छिड़िया छोड़कें , दूजी धर दव पांव।
गिरे ढड़क कें आखिरी , तब सें छोड़ो गांव।।
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– वीरेन्द्र चंसौरिया, टीकमगढ़
13
मौका हतौ दिवाइ कौ, बैंची खूब कबाड़।
छिड़िया सें नैचें गिरे, टूटे सबरे हाड़।।
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– अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
14
रावण के मन लालसा, छिडियाँ सरग लगाँय।
मन की मन में कल्पना, मंसा हती अथाँय।।
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-रामानन्द पाठक ‘नन्द’,नैगुवां
15
मैहर की मां सारदा,परबत पै दरबार।
चड़बे खौं छिड़िया बनीं, पूरी एक हजार।।
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-तरुणा खरे,जबलपुर
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16
मानव की यौनी मिली,करों दया उर प्यार।
चढ़ो न छिड़िया पाप की, कर दें बंटाढार।।
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एस आर ‘सरल’, टीकमगढ़
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संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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