बुन्देली दोहा – चिट (चोट का निशान)-दोहाकार- राना लिधौरी
बुन्देली दोहा – चिट (चोट का निशान)
#राना चिट बन जात है,लग जाबै जब चोट।
खुलै जगाँ पै है दिखत,तन में लगबें खोट।।
बड़ौ घाव जब सूखतइ,चिट को बनत निशान।
हल्को कारौ हौत है,#राना रत पैचान।।
हलकै में ऊदम करौ,गिरै खूब मैदान।
मुलकन चिट#राना बनी,फिर मिट गइँ है आन।।
छोटी चिट मिट जात है,बड्डी के रत चिन्ह।
#राना रहत सवाल है,मन रत जीसै खिन्न।।
चिट ना बनबै काउँ खौं, हौंय न ऐसे काम।
हो चरित्र या खेल कुछ, #राना का पैगाम।।
*** दिनांक -9-12-2024
✍️ राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक-‘अनुश्रुति’त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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