बुद्ध फिर मुस्कुराए / MUSAFIR BAITHA
अपने जीवनकाल में किसी सामाजिक प्रसंग पर
कभी मुस्कुराए भी थे बुद्ध
यह आमद प्रश्न इतिहास सच के करीब कम
कल्पना सृजित ज्यादा है
यदि कभी मुस्कुराए होंगे बुद्ध
तो इस बात पर भी जरूर
कि धन वैभव राग विलास जैसा भंगुर सुख भी
हमारी जरा मृत्यु की अनिवार गति को
नहीं सकता लांघ
और इसी निकष पर पहुंच
इस महामानव ने किया होगा
इतिहास प्रसिद्ध महाभिनिष्क्रमण
बुद्ध फिर मुस्कुराए-
अव्वल तो यह कथन ही मिथ्या लगता है
बुद्ध की हेठी करता दिखता है यह
अबके समय में
मनुष्य जन्म की बारंबारता को
इंगित करता है यह कथन
जबकि एक ही नश्वर जीवन के
यकीनी थे बुद्ध
अहिंसक अईश्वरीय जीवन के
पुरजोर हिमायती थे वे
अगर होते तो
अपने विचारों के प्रति
जग के नकार भाव पर ही
सबसे पहले मुस्कुराते बुद्ध
पोखरन के परमाणु विस्फोट पर
बुद्ध के मुस्कुराने का
बिम्ब गढ़नेवालों की सयानी राजबुद्धि पर भी
कम नहीं मुस्कुराते बुद्ध
बामियान की बुद्धमूर्ति sखला को
हत आहत करनेवाली शासकबुद्धि की
शुतुरमुर्ग भयातुरता पर भी जरूर
मुस्कुराए बिना नहीं रह पाते बुद्ध
और तो और
होते अगर अभी बुद्ध
तो देखने वाली बात यह होती
कि अपने नाम पर पलने वाले
तमाम अबौद्ध विचार धर्म को देख ही कदाचित
सबसे अधिक मुस्कुरा रहे होते बुद्ध ।
बुद्ध-जयंती 2008