बुंदेली दोहे-फतूम (गरीबों की बनियान)
बुंदेली विषय – फतूम ( किसान की बनियान )
#राना तकी फतूम है,पैरै रात मजूर।
गिरत पसीना ओइ पै,अजब मिलत दस्तूर।।
जौ गरीब गुरवाँ रयै ,जुरबै अगर फतूम।
उयै धाँद खुश हौत हैं ,#राना लैतइ चूम।।
खेत किसानी में दिखी ,पैरै सबइ फतूम।
#राना हँसकै काम खौं,करै दिसन में घूम।।
जब फतूम गंदी दिखे, #राना लैतइ फींच।
रगड़त पथरा पै उयै,दो हातन से खींच।।
बुंदेली बनियान है, #राना कात फतूम।
पैरत मुंसेलू इतै,नाचै गाँबैं झूम।।
एक हास्य दोहा –
धना कात #राना सुनौ ,घलीं मुगरियाँ चार।
फट गइ आज फतूम है , हो गइ टोकेदार।।
🤑🙋दिनांक-15-7-2024
✍️ राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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