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24 Jun 2024 · 1 min read

बुंदेली दोहे- ततइया (बर्र)

#बुंदेली_दोहा- #ततइया ( #बर्र)

नँईं खुद्दरौ लैवँ तुम,जितै ततइया होय।
काटत सूदी आन कै,#राना जानो सोय।।

बसकारै में कुछ अलग,मीठा पै उबरात।
कात ततइया सब जनै,’राना’धुआँ दिखात।।

कछू जनै यैसे मिलत,हौय ततइया जात।
एक कहैं ना दो सुनै,#राना घर भग आत।।

#राना जग में देखतइ,सबकै अलग सुभाव।
तितली राखत प्रेम है,देय ततइया ताव।।

#राना परखत रात है,कौन ततइया मित्र।
मारत रत बै डंक ही,सबइ बिगारत चित्र।।

एक हास्य दोहा

घना कात#राना सुनौ,नँई परौसन आइ।
लगै ततइया जात की,सबसे बड़ी मताइ।।
***🤔🤗*** दिनांक-23.4.2024

✍️ #राजीव_नामदेव”#राना_लिधौरी”
संपादक “#आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com

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