बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-176 के श्रेष्ठ दोहे पढ़िएगा
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता 176
प्रदत्त शब्द- कुलाॅंट (पल्टी मारना)
संयोजक -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्राप्त प्रविष्टियां :-
1
जब लै जात कुलाॅंट मन,भौंरा सौ भंन्नात।
संयम के आँकुश बिना,मतबारौ हो जात।।
***
-आशाराम वर्मा “नादान” पृथ्वीपुर
2
राम भरोसे नांच रय,लेत कुलाॅंट उचाट।
चाटुकार कविवर भये,बन कें रै गय भाट।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ‘इंदु’,बडागांव झांसी
3
पार लगइया पार पै,माँगत ठाँणे नाव।
लइ कुलाँट केवट कहत,पैलाँ चरन धुआव।।
***
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
4
अब्बै बँगलादेश में,खा गय मान्स कुलाँट।
शेख हसीना दै भगी,करकें हैंसा बाँट।।
***
-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
5
चले मदारी भेष में,बंदर को डुरयायँ।
शिव भोला बंदर नचा,ले कुलाॅट दिखलायँ।।
***
-शोभाराम दाँगी ‘इंदु’, नदनवारा
6
चलादार के सामनें,चमचा खात कुलाँट।
मौं देखी पंचात में,बेजां बंदरबाँट।।
***
-संजय श्रीवास्तव,मवई (दिल्ली)
7
कौल करें किरियां करें,पत्तन खांय कुलांट।
नेतन को जो धर्म है,कर रय एनई ठाट।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
8
कुलाँट को तो है उने,देखो बहुतइ सोक।
मौं के बल बे गिर गए,हंसत रय सब लोग॥
***
-सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,पुणे
9
बचपन मै मारत हते,मिलखें सबै कुलांट।
उलटी सूदी जब लगै, खूब परत ती डांट।।
***
-तरुणा खरे जबलपुर
10
हर कुलांट में चार फुट,आगें हम बढ़ जात।
जब पियांर में सोत ते,हलके की जा बात।।
***
-वीरेन्द्र चंसौरिया, टीकमगढ़
11
पार सागरे जा रये,हनुमत भरें कुलाँट।
जावै की उलात परी,ऊँची भरत उचाँट।।
***
-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा, विदिशा
12
बालापन की आज लौ,रह-रह खबरें आँय।
भैया संगे खाट पै,रोज कुलाँटी खाँए।
***
-प्रभा विश्वकर्मा ‘शील’,जबलपुर
13
लाबर सगे न काउ के,अपनो मरम न बाँट।
पत्ता पै खा जाँय जे,मौका परें कुलाँट।।
***
-डॉ.देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
14
नैं मानें ईमान खों,नैं सादें पर हेत।
बेईमान कुलाँट सी,बात-बात पै लेत।।
****
-गोकुल प्रसाद यादव ,नन्हींटेहरी
15
जात धरम के नाम पै,जौन लोग रय बाँट।
उनके मौ करिया करौ,खाबै चित्त कुलाँट।।
***
– एस आर ‘सरल’ ,टीकमगढ़
16
खात कुलाटैं आज के,नेता देखौं रोज।
दल बदलू धन लूटते,धरो मिटा कैं खोज।।
***
– प्रदीप खरे ‘मंजुल’, टीकमगढ़
17
चोरी के धन खों चलौ, मिलकें लैबूँ बाँट।
पत्ता पै बेइमान नें, तुरतइँ खाइ कुलाँट।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
18
छिरिया से मिमयांत रय,अब बन गय हैं शेर।।
नेतै खात कुलाॅंट में, तनक लगै नै देर।।
***
– भगवान सिंह लोधी “अनुरागी”,हटा, दमोह
19
कमलनाथ खां बीदगइ, आफत आठउं आंट।
दगा सिन्धया दैगए, बे लैगए कुलांट।।
***
– एम एल त्यागी, खरगापुर
########@@@@#######
संयोजक-
✍️ राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com