बुंदेली दोहा- जंट (मजबूत)
बुंदेली दोहा शब्द – जंट (मजबूत)
जंट बाँधियौ गाँठ सब , कहीं निनुर ना जाय |
#राना जित निनुरी दिखे , कोउ न बाँदन आय ||
उनकी गाँठें जंट हैं , जिनकी मनसा नेक |
#राना जो कारज करत , राखत तनिक विवेक ||
जंट बात #राना कहत , बिनतुआइ है आज |
अंट शंट हिलगंठ कै , कभउँ न करियौ काज ||
#राना चलियौ गैल में , रखियौ मनसा जंट |
चित्त पट्ट सब जेब में , पाँव तरै सब अंट ||
#राना जिनसे दोसती , हम राखत है जंट |
हर कौनें से भी मदद , ईसुर करतइ अंट ||
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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