**** बीमार ****
मै तेरे प्यार का बीमार हूँ
ऐ जाने जिगर ।
तेरे प्यार की हर स्वांस से
जिन्दा हूँ मगर ।
रफ़्ता-रफ़्ता ये जिंदगी मेरी
चलने लगी किस ऒर ।
ये ना जान सका प्यार में
तेरे ऐ जाने जिगर ।
प्यार जिन्दा है जिससे
ऐ जाने जिगर ।
दिल का दिल से है
नाता बडा प्यारा ।
मै तेरे प्यार का बीमार हूँ
ऐ जाने जिगर ।
तेरा मेरा ये रिश्ता है
कितना पुराना ।
मेरी जिंदगी के वीराने
इस गुलशन में ।
गुलबदन तेरी ही खुशबू
की महक आती है ।
तेरे गुल-ए-बदन से
महके मेरा जीवन ।
दिल के हर फूल की खुशबू *** से वाकिफ़ है दिल मेरा ।
तूं क्यों सोचती है तेरे बिन
जी पायेंगे हम ।
अब तो मौत भी न आएगी
तेरे बिन मुझको ।
मै तेरे प्यार का बीमार हूँ
ऐ जाने जिगर ।।
?मधुप बैरागी