बीत जाएगा ये दौरे – त्रासदी
बीत जाएगा ये दौरे – त्रासदी
बीत जाएगा ये दौरे – त्रासदी
रोशन होगी फिर एक नयी सुबह
स्वयं को संभालना सीखना होगा
स्वयं को बनाना होगा ऊर्जावान
तिनका – तिनका जिन्दगी को संजोना होगा
बूँद – बूँद कर आशियाँ को सजाना होगा
क्यूं कर मानवता हो जाए शर्मशार
इंसानियत का एक कारवाँ सजाना होगा
मरहम होना होगा एक दूसरे का
पीर एक दूसरे की मिटाना होगा
इस बुरे दौर में रखना होगा संयम
स्वयं को शक्तिवान बनाना होगा
क्यूं कर रिश्तों में संदेह को मिले स्थान
रिश्तों का एक कारवाँ सजाना होगा
उस खुदा पर करना होगा एतबार
इबादत का एक समंदर सजाना होगा
कोरोना के इस अन्धकार से बाहर आयेंगे एक दिन
मिलकर इस वायरस को हराना होगा
भूख प्यास मिटानी होगी गरीबों की
इनके लिए लंगर सजाना होगा
मिलकर चलेंगे तो पायेंगे मंजिल
एक – दूसरे पर विश्वास जताना होगा
जीते हैं हमने पहले भी ऐसे युद्ध बहुत
कोरोना को भी हमने मिलकर हराना होगा
बीत जाएगा ये दौरे – त्रासदी
रोशन होगी फिर एक नयी सुबह
स्वयं को संभालना सीखना होगा
स्वयं को बनाना होगा ऊर्जावान
नोट – यह रचना कोरोना काल में लिखी गयी है |