बिना अपनों का सफर और मंजिल
लोगों की
जाने पहचानों की
अंजानों की
सबकी भीड़ जोड़ना
बस जो बिल्कुल अपने हैं
उन्हें छोड़ देना
उन्हें भुलाकर
उन्हें सताकर
उन्हें एक कोने में बिठाकर
उन्हें अपमानित करके
उन्हें प्यार न करके
तुम्हें अगर खुशी मिलती है
जीवन के सारे सुख मिलते हैं
उनका हर पल तिरस्कार ही तुम्हारी
मंजिल है
तो इसमें जो भुक्तभोगी है
उसे कोई आपत्ति नहीं
तुम सारे सांसारिक सुख
भोगना
बिना अपनों का यह सफर
और मंजिल की प्राप्ति
अवश्य पूरी करना।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001