*बिखरे सौ-सौ रंग 【कुंडलिया】*
बिखरे सौ-सौ रंग 【कुंडलिया】
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नीला नभ भूरी धरा , हरे रंग की घास
नारंगी सूरज उगा , घर के देखो पास
घर के देखो पास , श्वेत चंदा मुस्काता
बिना रंग का नीर , मेघ काला बरसाता
कहते रवि कविराय ,पेड़ पतझड़ का पीला
बिखरे सौ-सौ रंग , देखता है नभ नीला
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451