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5 May 2022 · 1 min read

*बिकने लगी शराब (कुछ लॉकडाउन दोहे)*

बिकने लगी शराब (कुछ दोहे)
——————————————–
(1)
बंद दुकानें खुल गईं ,बिकने लगी शराब
लंबी – लंबी लाइनें , कहते रहो खराब
(2)
भूखे मदिरा के लिए ,प्यासे – प्यासे लोग
मदिरा जिनकी है दवा ,मदिरा जिनका रोग
(3)
दौड़े पीने के लिए ,किसके मुख पर लाज
पीने वाला हो गया ,बहुमत भरा समाज
(4)
मदिरा बेची तो हुई ,सरकारों की आय
सर्वप्रथम मदिरा बिकी ,जनमानस निरूपाय
(5)
महँगी मदिरा बेचना ,आमदनी का स्रोत
भीगे जैसे खून से ,उड़ते दिखे कपोत
(6)
चालिस दिन में लग रहा ,छूटी गई शराब
बंदिश जैसे ही खुली ,हालत हुई खराब
(7)
पानमसाला चल पड़ा ,चालू हुई शराब
चालिस दिन अच्छा रहा,फिर से जगत खराब
(8)
महँगी मदिरा बेचकर ,चलती है सरकार
वाह-वाह तुम गुणवती ,हे मदिरा आभार
(9)
खुला लॉकडाउन जरा ,सड़कों पर हैं लोग
मास्क नहीं दूरी नहीं , फैलाएँगे रोग
————————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 94 Views
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