बाल विवाह
विधा-मुक्तक
अबहिन बेटी एतने जाने,पढ़ल-लिखल खेलल-खाइल।
देखि झंँवाइल ई का होता,जब डोली दुवरे आइल।
रहे बाप-माई के चिन्ता,जाँह पबित्तर हो जाओ,
बेटी हो तूँ बर के भइलू ,हाथ-बाँहि अब पकड़ाइल।
**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज (बिहार)**