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28 Jun 2023 · 1 min read

बाल झड़ गए पढ़ते पढ़ते बढ़

बाल झड़ गए पढ़ते पढ़ते बढ़ रही और प्रेसानी है
हमे सब लोग निक्कमे समझने लगे है
क्या खुदा यही लिखी तूने मेरी कहानी है
सरकार सो गई नही सुनती नही देखती कोई कहानी है
वेकेंसी कही आती नही वोट के समय तो ऐसे कहते
लगता है नौकरी इनकी नौकरानी है
हम देंगे रोज गार यही झूठ सुनना इनकी जुबानी है
बाल झड़ गए पढ़ते पढ़ते बढ़ रहे और सारी प्रेसानी है

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