बाल गीत
बाल गीत
अंश बटा हर।
विद्यालय अपना घर।
विषम भिन्न में अंश बड़ा,
सम भिन्न में हर।
विद्यालय को ऐसे सजाओ,
जैसे सजाते घर।
दो बटा तीन पानी,
एक बटा तीन पे हम।
दोनों मिलके पृथ्वी बनी,
जिसपे रहते तुम और हम
– जय श्री सैनी ‘सायक’,
बाल गीत
अंश बटा हर।
विद्यालय अपना घर।
विषम भिन्न में अंश बड़ा,
सम भिन्न में हर।
विद्यालय को ऐसे सजाओ,
जैसे सजाते घर।
दो बटा तीन पानी,
एक बटा तीन पे हम।
दोनों मिलके पृथ्वी बनी,
जिसपे रहते तुम और हम
– जय श्री सैनी ‘सायक’,