बाल कहानी विशेषांक
बाल कहानी विशेषांक
शीर्षक:अर्जुन, तेजस की दुनियां
अर्जुन दौड़ता हुआ आया और धड़ाम से सोफे पर गिर पड़ा। कंधे पर स्कूल का बैग पैर में जूते बिना उतारे ही वह चुपचाप सोफे में मुॅंह धसाएं हुए पड़ा रहा।
मम्मी अर्जुन को देखते ही समझ गई कि आज इसका पहला पेपर था। शायद पेपर खराब हो गया इसी वजह से उदास है। मम्मी ने उसके पास बैठते हुए पूछा अर्जुन क्या हुआ बेटा?
पेपर में कोई प्रश्न समझ नहीं आया या आप लिख नहीं पाएं।
अर्जुन ने सोफे में मुॅंह धसाएं हुए कहा मम्मी पेपर तो मेरा अच्छा हुआ मुझे 8 ही सवाल करने थे 10 में से।
लेकिन मैंने 10 ही कर दिये क्योंकि अगर किसी में गलती होगी तो मैडम मुझे ज्यादा नंबर देंगी और मैं प्रथम आ जाऊंगा।
उसकी भोली- भाली बातों पर मम्मी हॅंसने लगी।
मम्मी ने उसे समझाया बेटा ऐसा नहीं होता अगर आपको 8 प्रश्न ही करने थे तो आपको नंबर भी 8 प्रश्न पर ही मिलेंगे।
अर्जुन ने खुश होते हुए जिज्ञासु प्रवृत्ति के अनुसार कहा नहीं मम्मी क्या पता मेरे किसी प्रश्न में कोई गलती हो तो मैडम उसकी जगह दूसरे सही प्रश्न पर मुझको ज्यादा नंबर दे दे। मम्मी उसके मासूम सवाल का जवाब नहीं दे पाई। मम्मी ने कहा चलो अच्छा है। तुम्हें 10 सवाल आते थे तुमने 10 कर दिए अब मैडम की मर्जी वह आपको कितने नंबर दे। पर इस तरह नाराज क्यों हो? अब तो बताओ मम्मी मैडम ने आज हमारी दौड़ नहीं करवाई और मैं इसलिए हाफ पैंट पहन कर गया था कि मैं अच्छे से दौड़ पाऊं और प्रथम स्थान प्राप्त करूं। लेकिन मैडम ने तो दौड़ नहीं करवाई मेरा सारा मूड खराब कर दिया।
मम्मी कहा अच्छा कोई बात नहीं आपकी कक्षा में सभी बच्चों की दौड़ नहीं हुई इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं।
अर्जुन ने कहा नहीं मम्मी मैंने इतनी तैयारी करी थी फर्स्ट तो मुझे आना ही था इसलिए दुख हो रहा है अगर मैडम दौड़ा देती तो मैं प्रथम स्थान पर आ जाता। मम्मी ने कहा चलो कोई बात नहीं!
दूसरे कमरे में तेजस गुनगुना रहा था मम्मी ने उसकी आवाज को सुनते हुए पूछा तुम्हारा पेपर कैसा हुआ? तेजस खुश होते हुए कहा बढ़िया! मम्मी बहुत बढ़िया।
मम्मी ने कहा अच्छा! बहुत बढ़िया क्या होता है? तेजस ने कहा मैंने सारे सवाल करें ।
मम्मी ने उत्साह पूर्वक कहा अच्छा !
कितने सही थे ।
यह नहीं पता मम्मी मुझे पर मुझे ठीक लग रहे थे। पर मैंने पेपर ठीक किया है। तेजस में अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा।
मम्मी ने तेजस से कहा इसका मतलब तुम्हें सारा पेपर नहीं आता था?
लेकिन मम्मी फिर भी बहुत आता था। बहुत मतलब! तेजस ने कहा मतलब
ठीक- ठीक आता था पास हो जाउंगा। आप फिक्र मत किया करो।
मम्मी ने फिर प्रश्न किया कितने सवाल तुमने छोड़ें? अब तेजस ने धीरे से उत्तर दिया पता नहीं! मम्मी दो या तीन। तेजस ने कुछ सोचते हुए कहा शायद अच्छे से मुझे याद नहीं?
मम्मी ने फिर अर्जुन की तरफ देखते हुए कहा बेटा खाना खा लो बाद में पढ़ लेना।
उसने कहा नहीं मम्मी पहले मैं पढ़ लेता हूॅं फिर आराम से खाना खा लूंगा।
और तेजस बिना कहे ही खाने की थाली उठाकर खाने बैठ गया और कहने लगा पेपर तो परसों है कल की छुट्टी है मम्मी अभी से क्यों परेशान होना। अभी तो शाम है! कल है! मैं याद कर लूंगा। मम्मी मौन उन दोनों की अपनी-अपनी दुनिया के बारे में सोचने लगी।
अर्जुन जो एक बिंदु भी गलत होने पर घंटों -घंटों रोता है। और तेजस जो आधा प्रश्न पत्र कर कर भी खुद में बहुत खुश रहता है।
इन मम्मी दोनों को देखती रही और सोचती रहेगी कि दोनों की दुनिया कितनी अलग है!
हरमिंन्दर कौर
अमरोहा (उत्तर प्रदेश)