बाल कविता
बच्चों चलो चलें सत्संग।
जीने मरने का कुछ सीखे ढंग।
पढ़ना लिखना और कमाना।
जीवन को सुख पूर्ण बनाना।
आदि काल से करते आये।
पर क्या कभी सुखी हो पाये।
आज चलें सत्संग की बेला।
माता जी के बन जायें चेला।
ज्ञान मिलेगा ध्यान मिलेगा।
जीने का सामान मिलेगा।
मनुवा कभी न होगा तंग।
बच्चों चलो चलें सत्संग।